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नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में चार राज्यों में खरीद-फरोख्त की कोशिशों के आरोपों के बीच शुक्रवार को 16 सीटों के लिए मतदान होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए विशेष पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है तथा उसकी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। 

हाल ही में 57 राज्यसभा सीट के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा की गई थी और उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड तथा उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था। हालांकि, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीट के लिए शुक्रवार को मतदान होगा, क्योंकि उम्मीदवारों की संख्या संबंधित सीट संख्या से अधिक है।

राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद सवाल पूछे जाने पर  राजीव कुमार ने कहा कि हमने सभी चार स्थानों (राज्यों) में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। खरीद-फरोख्त के प्रयासों से बचाने के लिये  राजनीतिक दल अपने विधायकों को होटल और रिसॉर्ट में ठहराए हुए हैं।

हालांकि, हरियाणा और राजस्थान में निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में दो मीडिया दिग्गजों की अचानक एंट्री; कर्नाटक में चौथी सीट के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) द्वारा अपनी किस्मत आजमाने का फैसला; और बीजेपी तथा शिवसेना के महाराष्ट्र में एक अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा करने के फैसले ने इन चार राज्यों में शेष 16 सीटों के लिए राज्यसभा चुनावों को मजबूर कर दिया है। अब इन चार राज्यों ( राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र) में कल 10 जून को चुनाव होंगे।

ऐसे में चुनाव को लेकर खरीद-फरोख्त के आरोपों, विधायकों को रिसॉर्ट में सुरक्षित पहुंचाने, लगातार बैठकों और विधायकों की गिनती ने इस चुनावी प्रक्रिया को रोमांचक और रहस्यपूर्ण बना दिया है। कल शुक्रवार को होने वाले चुनाव पर एक नजर डालते हैं। 

राजस्थान में क्या है माहौल
सीटों की संख्या: 4 उम्मीदवारों की संख्या: 5 जीतने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को वोट चाहिए: 41

राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से कांग्रेस के पास 108 और बीजेपी के पास 71 विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस दो और बीजेपी एक पर जीत हासिल करेगी, लेकिन कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों (रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी) को उम्मीदवार बनाया है जबकि बीजेपी ने केवल एक उम्मीदवार (पूर्व विधायक घनश्याम तिवारी) को मैदान में उतारा है। साथ ही पार्टी निर्दलीय उम्मीदवार और मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्रा का समर्थन कर रही है। कांग्रेस को अपने तीनों उम्मीदवारों को जीतने के लिए 15 और वोटों की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर, बीजेपी को अपने दो उम्मीदवारों के लिए 11 अतिरिक्त वोट चाहिए होगी।

हरियाणा में क्या कहते हैं समीकरण
सीटों की संख्या: 2 उम्मीदवारों की संख्या: 3 प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक मतों की संख्या: 31

90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में, कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं जो उसके उम्मीदवार अजय माकन की जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है, जबकि बीजेपी के 40 विधायक हैं, ने पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार को मैदान में उतारा है और न्यूज एक्स के मालिक कार्तिकेय शर्मा का समर्थन कर रही है। पार्टी अपनी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की 10 सीटों पर भरोसा कर रही है, ताकि कार्तिकेय को जीत मिल सके। इसके अलावा सात निर्दलीय भी हैं। इनेलो के अभय चौटाला और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने भी कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देने की घोषणा की है।

कर्नाटक की स्थिति पर एक नजर
सीटों की संख्या: 4 उम्मीदवारों की संख्या: 6 प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक मतों की संख्या: 45

कर्नाटक विधानसभा में, जिसमें 224 सीटें हैं, कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, बीजेपी के पास 121 सीटें हैं और जद (सेकुलर) के पास 32 हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी चार में से दो सीटें जीतने के लिए तैयार है, और कांग्रेस को एक सीट मिलेगी। चौथी सीट, इसलिए अहम साबित हो रही है क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार दिए हैं। कांग्रेस ने पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और मंसूर अली खान को मैदान में उतारा है।  बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता जग्गेश और कर्नाटक एमएलसी लहर सिंह सिरोया उम्मीदवार हैं। रियल एस्टेट कारोबारी डी कुपेंद्र रेड्डी जद (सेकुलर) के उम्मीदवार हैं।

महाराष्ट्र में भी आसान नहीं दिख रही राह
सीटों की संख्या: 6 उम्मीदवारों की संख्या: 7 आवश्यक वोटों की संख्या: 42

महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी के पास 106, शिवसेना के पास 55, कांग्रेस के पास 44 और एनसीपा के 53 (लेकिन उसके दो विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में हैं) हैं। निर्दलीय और छोटी पार्टियों के पास संयुक्त रूप से 29 वोट हैं। बीजेपी ने राज्य में तीन उम्मीदवारों केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय म्हादिक को मैदान में उतारा है, जबकि शिवसेना के दो उम्मीदवार पार्टी प्रवक्ता संजय राउत और संजय पवार मैदान में हैं। एनसीपी और कांग्रेस, जो सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं, ने एक-एक उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और इमरान प्रतापगड़ी को मैदान में उतारा है। सामान्य परिस्थितियों में, अगर किसी तरह की कोई क्रॉस-वोटिंग नहीं होती है तो कांग्रेस के अपने आधिकारिक उम्मीदवार के चुने जाने के बाद भी दो अधिशेष वोट बचे रहेंगे, और एनसीपी के पास 9 अधिशेष वोट होंगे (यदि मलिक और देशमुख को वोट देने की अनुमति नहीं मिलती है)। कांग्रेस और एनसीपी इन्हें शिवसेना को सौंप सकती हैं, जिसके पास अपने दो उम्मीदवारों में से एक को चुनने के बाद अपने स्वयं के 13 अधिशेष वोट होंगे. इसके अलावा चार निर्दलीय विधायक हैं जो सरकार का हिस्सा हैं और उनके शिवसेना को ही वोट देने की संभावना है। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के अधिशेष वोट कुल मिलाकर सामान्य स्थिति में 24 हो जाते हैं. हालांकि क्रॉस वोटिंग के खतरे को देखते हुए तीनों पार्टियों के सरप्लस वोट काफी कम हो सकते हैं।