Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भगोड़ा घोषित व्यवसायी विजय माल्या को अवमानना के मामले में सोमवार को चार माह की कैद की सजा सुनाई। उन्हें न्यायालय ने चार सप्ताह में चार करोड़ डॉलर मय ब्याज जमा करने का आदेश दिया है।

ग्रीष्मावकाश के बाद इस मामले की सुनवाई करने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सरकार से कहा है कि धनराशि चुकाने का आदेश पालन न करने पर माल्या की संपत्तियों की कुर्क करने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश भी दिया है।

पीठ ने माल्या पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। न्यायालय ने उन्हें न्यायिक आदेशों के उल्लंघन करने का दोषी पाया है। पीठ ने कहा कि माल्या ने यूनाइटेड ब्रूअरीज की संपत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि में से जिस तरह से चार करोड़ डॉलर की राशि अपने बच्चों के नाम हस्तांतरित की, जो गलत है। उन्होंने जो भी पैसा हस्तांतरित किया है उसे ऋण वसूली कार्यालय को आठ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए।

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति यूयू ललित, एस. रविन्द्र भट और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्ह की पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि माल्या ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है।

गौरतलब है कि माल्या पर उनकी बंद हो चुकी एयरलाइन किंगफिशर के लिए बैंकों से लिए गए कर्ज को जानबूझकर न चुकाना और उसमें हेराफेरी करने का आरोप है। स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के समूह ने उन पर उच्चतम न्यायालय ने अवमानना का मामला दर्ज किया था। उन्होंने आऱोप लगाया कि माल्या ने यूनाइटेड ब्रूअरीज की संपत्ति की बिक्री का पैसा अपने बच्चों को हस्तांतरित कर न्यायालय की अवमानना की थी। शीर्ष न्यायालय ने माल्या को 2017 में ही अवमानना का दोषी पाया था। माल्या ने अदालत से 2017 के निर्णय की समीक्षा के लिए अर्जी लगायी थी जिसे अगस्त 2020 में खारिज कर दिया गया था और उन्हें अदालत के समक्ष स्वयं को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

पीठ ने इसी साल 10 मार्च को माल्या के अनुपस्थिति में ही इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना निर्णय आगे के लिए सुरक्षित कर लिया था। माल्या इस समय ब्रिटेन में रह रहा है और भारतीय प्रवर्तन एजेंसियां उसको भारत लाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।