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मुंबई/नई दिल्ली। भारत में अमीर व्यक्तियों की सूची में गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी शीर्ष पर हैं। हालांकि दोनों के बीच अंतर काफी ज्यादा है, लेकिन अन्य के मुकाबले सबसे ऊपर हैं। एक समय था जब टाटा और बिड़ला भारत के अमीरों के लिए पर्यायवाची थे, लेकिन अब समय के साथ-साथ ये पर्यायवाची भी बदल चुका है और अब अदाणी-अंबानी का जमाना आ गया है। 

धराशाई हुए कई दिग्गज
बता दें कि एक समय के दौरान उत्तर भारत में श्रीराम, थापर, नंद और मोदी, पूर्वी भारत में बांगर, पश्चिम में मफतलाल, वालचंद, किर्लोस्कर, खतौस, साराभाई और लालभाई और दक्षिण में एमए चिदंबरम समूह जैसे हर क्षेत्र के धनी थे। अब समय के साथ कई समूह लड़खड़ा गए हैं और अपने सबसे खराब समय में चले गए हैं।

अदाणी और अंबानी शीर्ष पर
नई औद्योगिक नीति ने एकाधिकार और प्रतिबंधित व्यापार प्रथाओं से छुटकारा पाने और 18 उद्योगों को छोड़कर सभी के लिए औद्योगिक लाइसेंस को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया। एक परियोजना में विदेशी इक्विटी होल्डिंग्स को 51 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया था। भारतीय उद्योग पहले की तरह नियंत्रण और नौकरशाही से मुक्त था। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, गौतम अदाणी 125 बिलियन डालर की कुल संपत्ति के साथ दुनिया में चौथे स्थान पर हैं। अदाणी के बाद मुकेश अंबानी 83.6 अरब डालर की संपत्ति के साथ 10वें नंबर पर हैं।

वर्ष 1964 और 1991 अहम मोड़
वर्ष 1964 एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब Monopolies and Restrictive Trade Practices Commission (MRTP) की स्थापना की गई थी। उस वर्ष तक MRTP आयोग ने भारतीय बड़े व्यवसाय के बारे में जानकारी इकट्ठा कर लिया था और इसलिए विश्वसनीय डेटा उपलब्ध था। इसके बाद, अगला दिलचस्प मोड़ 1991 में आया, जब पी वी नरसिम्हा राव सरकार ने नई आर्थिक नीति पेश की। यहां पर बहुत बड़ा बदलाव हुआ। नई औद्योगिक नीति के रूप में भारत का सबसे क्रांतिकारी नीति दस्तावेज- लाइसेंस परमिट राज 24 जुलाई 1991 को समाप्त कर दिया गया।