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नई दिल्ली। स्वदेशी जागरण मंच,आरएसएस के एक सहयोगी ने दिवाली के दौरान दिल्ली प्रशासन द्वारा पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया है। बता दें कि देश भर में पटाखों के उत्पादन और वितरण में लगे लाखों श्रमिकों और अन्य लोगों के रोजगार को झटका लगा है।

शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि, "हमें यह जानने की जरूरत है कि पटाखों से होने वाला प्रदूषण मुख्य रूप से चीन से अवैध रूप से आयातित पटाखों के कारण होता है, न कि भारत के हरे पटाखों के कारण। यह उल्लेखनीय है कि चीनी पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर के मिश्रण के कारण प्रदूषण हुआ है।" हालांकि, भारत में बने हरे पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर मिश्रित नहीं होते हैं"।

शिवकाशी के कई लोगों की चली गई नौकरी
स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि तमिलनाडु (शिवकाशी), पश्चिम बंगाल और देश के कई अन्य हिस्सों में दस लाख से अधिक लोगों की आजीविका पटाखा उद्योग पर निर्भर करती है। ये लोग साल भर अपने पटाखे बेचने के लिए दीपावली का इंतजार करते हैं। ऐसे में बयान में कहा गया है कि बिना किसी वैज्ञानिक आधार के हरित पटाखों पर प्रतिबंध लगाना समझदारी नहीं है जो काफी कम प्रदूषण फैलाने वाले हों।

पराली जलाने से होने वाली प्रदूषण का समाधान निकाले सरकार
स्वदेशी जागरण मंच ने आगे कहा कि यह बहुत खेद की बात है कि सरकारी एजेंसियां ​​​​पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पराली जलाने की समस्या को हल करने में विफल रही हैं। यह बिना किसी संदेह के साबित होता है कि पराली जलाना राष्ट्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है। राजधानी और आसपास के उत्तरी राज्यों में, और दीपावली के अवसर पर वे पटाखों पर प्रतिबंध लगाने पर ध्यान केंद्रित करके, प्रदूषण के वास्तविक कारण से ध्यान हटाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, "बयान में जोड़ा गया।इस प्रकार, इसने सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे पराली जलाने से होने वाली प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करें।

पटाखों के बिना अधूरी शिवकाशी
शिवकाशी शहर को अगर किसी चीज से पहचान मिली तो वो है पटाखे। दिवाली से नाता रखने वाला शिवकाशी, भारत के तमिलनाडु राज्य के विरुधुनगर जिले में एक शहर और नगर निगम है। आतिशबाजी के उत्पादन के लिए शिवकाशी काफी प्रसिद्ध है। शिवाकाशी में 20वीं शताब्दी की शुरूआत में पहला फायर उद्योग शुरू किया गया था। शिवकाशी में करीब 6 हजार करोड़ पटाखे का कारोबार किया जाता था। लेकिन जब से ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और बेरियम पर प्रतिबंध लगा है तब से शिवकाशी में चीजें बदल सी गई।

शिवकाशी में होता था 90% पटाखों का उत्पादन
हालांकि, अब शिवकाशी में पटाखों के उत्पादन में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम रसायन के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए पोटेशियम नाइट्रेट और स्ट्रोटियम नाइट्रेट के उपयोग का भी सुझाव दिया है। कई पटाखें कपंनियों का कहना है कि स्ट्रोंटियम नाइट्रेट भारत में आसानी से उपलब्ध नहीं होते, इसे आयात करना पड़ता है। जिस शहर ने पिछले 70 वर्षों में देश के 90% पटाखों का उत्पादन किया, आज वहीं लोग रोजगार पाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। पटाखों के बैन से 1400 अवैध पटाखे यूनिट बंद हो गई है, जिसके कारण पटाखे बनाने वाले मजदूरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया है। जानकारी के लिए बता दें कि शिवकाशी की पटाखा फैक्ट्रियां करीब 2,500 करोड़ रुपए की आतिशबाजी का उत्पादन करती थी और खुदरा बिक्री में उन्हें 6,000 करोड़ रुपए तक बेच सकती थी। शिवकाशी फायरवर्क्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसएफएमए) के उपाध्यक्ष ए. मुरली ने बताया कि कई राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अलावा पटाखों का कारोबार वर्तमान में समस्याओं का सामना कर रहा है।