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रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने गुरुवार सुबह 11.30 बजे बुलाया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। उल्टा उन्होंने जांच एजेंसी को सीधी चुनौती देते हुए कहा-अगर गुनाह किया है तो पूछताछ क्या करना? हिम्मत है तो गिरफ्तार करके दिखाओ। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार को दिल्ली से गिराने की साजिश हो रही है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री ऑफिस (सीएमओ) ने ईडी के समन का जवाब दिया है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ऑफिस की ओर से कहा गया- हेमंत सोरेन अपनी व्यस्तता के कारण आज ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे हैं। ईडी से हेमंत सोरेन ने पेश होने के लिए 3 हफ्ते का समय मांगा है।

दरअसल, राज्य में सियासी हलचल के बीच सुबह से ही सीएम हाउस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा शुरू हो गया था। उन्हें संबोधित करते हुए ही सोरेन ने ये बातें कहीं। ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को किसी ने सीधी चुनौती दी है। इधर सीएम से सवाल-जवाब को लेकर ईडी ऑफिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

राज्य में बाहरियों का नहीं, झारखंडियों का राज चलेगा
सीएम श्री सोरेन ने कहा कि भाजपा के लोग नहीं चाहते कि कभी आदिवासी, दलित आगे बढ़ें। इनकी सोच सामंतवादी है। ये लोग केंद्रीय एजेंसियों की मदद से अपनी ताकत दिखा रहे हैं। वे आदिवासियों और दलितों को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस राज्य में बाहरियों का नहीं, झारखंडियों का राज चलेगा। मैं गुजरात के आदिवासियों से अपील करता हूं कि इस चुनाव में भाजपा को वोट न दें।

सरकार को अस्थिर करने की साजिश
कल शाम सत्ता पक्ष के विधायकों की मुख्यमंत्री आवास पर बैठक देर रात तक चली। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की और सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। बैठक के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन्ना गुप्ता सहित कई नेताओं ने पूरे घटनाक्रम को भाजपा की साजिश करार दिया। जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की बात कही। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कल साहिबगंज में कहा, विपक्ष के अनुरोध पर ED इस मामले की जांच कर रही है। बैठक से बाहर आकर बन्ना गुप्ता ने कहा, हम सभी एकजुट हैं और जनता की अदालत में जाएंगे। प्रदेश सरकार को अस्थिर करने की साजिश का पर्दाफाश करेंगे।

88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लेने का आरोप

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने इस साल 10 फरवरी को सीएम हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने डॉक्यूमेंट्स दिखाते हुए दावा किया कि हेमंत ने अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खदान की लीज ली है और चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में यह जानकारी छिपाई है। चूंकि सीएम सरकारी सेवक हैं, इसलिए लीज लेना गैरकानूनी है। साथ ही यह पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट 1951 का उल्लंघन है। बीजेपी नेताओं ने 11 फरवरी को राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी।

इसके बाद राज्यपाल रमेश बैस ने शिकायत को चुनाव आयोग को भेजकर सुझाव मांगा। चुनाव आयोग ने इसकी सुनवाई शुरू कर शिकायतकर्ता बीजेपी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा।

चुनाव आयोग ने इसी महीने अपनी सुनवाई पूरी की। अब चर्चा है कि आयोग ने अपना सुझाव राज्यपाल को भेज दिया है। इस तरह गेंद अब वापस राज्यपाल की कोर्ट में है।