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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को सीबीआई कोर्ट फिर झटका लगा है। गुरुवार को कोर्ट ने सत्येंद्र जैन और दो अन्य को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके एक दिन पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष जज विकास ढुल ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने मेन केस में सुनवाई के लिए अगली तारीख 29 नवंबर तय की है।

तिहाड़ जेल में बंद हैं सत्येंद्र जैन
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सत्येंद्र जैन को 30 मई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग केस (PMLA) मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद से सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल में बंद हैं। ईडी के अनुसार, सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 4 शेल कंपनियों के वास्तविक नियंत्रण में थे, और सह-आरोपी अंकुश जैन और वैभव जैन सिर्फ डमी थे।

दूसरी ओर, सत्येंद्र जैन के वकील ने तर्क दिया कि उनकी भूमिका PMLA के दायरे में नहीं आती है। जैन से संबंधित जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है। वकील ने कहा कि यह आरोप लगाया गया है कि 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रची गई थी। उस समय न तो जैन विधायक थे और न ही मंत्री। ऐसे में वह मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश कैसे रच सकते हैं?

जैन ने अदालत से उन्हें जमानत देने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें और हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इससे पहले सीबीआई ने सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और अन्य पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोप लगाया था।

2.85 करोड़ नकद, 133 सोने के सिक्के मिले थे
31 मार्च को ईडी ने अस्थायी रूप से मंत्री के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी सीज कर दी थी। 6 जून को, जांच एजेंसी ने सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित कई स्थानों पर छापे मारे। इन्होंने या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनकी सहायता की थी या मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रियाओं में भाग लिया था। छापे के दौरान 2.85 करोड़ रुपए नकद और 1.80 किलोग्राम वजन के 133 सोने के सिक्के बरामद किए गए।

याददाश्त चले जाने का दावा किया था
जैन पर आरोप हैं कि उन्होंने दिल्ली में कई शेल कंपनियों को लॉन्च किया या खरीदा था। उन्होंने कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटरों की शेल कंपनियों के माध्यम से 16.39 करोड़ रुपए का काला धन भी सफेद किया था। जैन के पास प्रयास, इंडो और अकिंचन नाम की कंपनियों के शेयर बड़ी संख्या में थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2015 में केजरीवाल सरकार में मंत्री बनने के बाद जैन के सभी शेयर उनकी पत्नी के नाम कर दिए गए थे। गिरफ्तारी के बाद जब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के कागजात दिखाकर जैन से सवाल पूछे तो उन्होंने कोरोना के कारण याददाश्त चले जाने का दावा कर दिया था।