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प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की कार्बन डेटिंग सहित साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग में दाखिल याचिका पर पुरातत्व विभाग से पूछा है कि क्या बिना क्षति पहुचाए कार्बन डेटिंग की जा सकती है। कोर्ट ने कहा अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी यथास्थिति आदेश को देखते हुए साइंटिफिक सर्वे कराने की अर्जी खारिज की है। आशंका व्यक्त की गई है कि कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग को क्षति हो सकती है।

हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार के प्रमुख सचिव धर्मार्थ विभाग से मांगा जवाब : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि गवाही नहीं हो सकती और आकार को बिना नुकसान उसकी आयु का निर्धारण किया जाना जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव धर्मार्थ विभाग से भी जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 30 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लक्ष्मी देवी व तीन अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्‍ता ने क्‍या दिया तर्क
 याचिका पर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बहस की। उनका कहना था कि साइंटिफिक सर्वे होने से ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग सहित अन्य धार्मिक निर्माण की सही जानकारी मिल सकेगी। यह भी पता चल सकेगा कि वहां मिले शिवलिंग व अन्य मूर्तियां व धार्मिक वस्तुएं कितनी पुरानी है।

याचिका में जिला न्‍यायालय के फैसले को दी गई चुनौती
याचीगण ने जिला अदालत वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने यह कहते हुए अर्जी 14 अक्टूबर को खारिज कर दी कि ऐसा करने से निर्माण को क्षति पहुंच सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने परिसर की यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। याचिका में जिला न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है।

कोर्ट ने हलफनामा देकर स्थिति स्‍पष्‍ट करने का दिया निर्देश
भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता मनोज सिंह ने तीन महीने का समय मांगा किंतु कोर्ट ने 30 नवंबर तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता पंचम बिपिन बिहारी पांडेय को भी प्रमुख सचिव का हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।

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