
0 छत्तीसगढ़ में 12 दिन पहले मानसून की एंट्री, अब तक 17 राज्य कवर किए
नई दिल्ली/रायपुर/भोपाल। देश के 17 राज्यों में मानसून की एंट्री हो चुकी है। बुधवार को मानसून समय से 12 दिन पहले छत्तीसगढ़ और 13 दिन पहले ओडिशा पहुंचा। दोनों राज्यों के कुछ जिलों में तेज बारिश हुई।
महाराष्ट्र के मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़ में आज भारी बारिश हो रही है। यहां बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। बदलापुर, उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली और ठाणे के अलग-अलग इलाकों में जलभराव हो गया है। राजस्थान में मौसम का तीन रूप देखने को मिल रहे हैं। बूंदी जिले में तेज गर्मी पड़ रही है। यहां के गांव में वृद्ध महिला की मौत हुई। जांच में हीटवेव से मौत की बात सामने आई। उदयपुर, चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा में बारिश जारी है। जैसलमेर में सुबह से रेत का गुबार (धूलभरी आंधी) है। मध्यप्रदेश के 15 से ज्यादा जिलों में मंगलवार को बारिश हुई। आज भी भोपाल, इंदौर-उज्जैन समेत 40 जिलों में तेज आंधी के साथ बारिश की चेतावनी है। कुछ जिलों में आंधी की रफ्तार 50 केएमपीएच तक हो सकती है। बिहार के 12 जिलों में आज बारिश का यलो अलर्ट है।
देश में इस मानसून सीजन औसत 106% बारिश की संभावना
इस बार मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग (आईएमडी) ने बताया कि 106% तक बारिश हो सकती है। पिछले महीने इसे 105% बताया गया था। जून महीने में भी बारिश सामान्य से ज्यादा होगी। आईएमडी ने 27 मई को बताया था, 'देश में जून के महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है, जो 108% हो सकती है। यानी इस दौरान 87 cm से ज्यादा बारिश का अनुमान है। इसे लॉन्ग पीरियड एवरेज यानी एलपीए कहा जाता है।
मप्र-महाराष्ट्र में ज्यादा, बिहार-झारखंड में कम बारिश होने का अनुमान
0 मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आस-पास के इलाकों में इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।
0 मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
0 मानसून के कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं। इनमें अधिकांश बारिश साउथ वेस्ट मानसून के दौरान होती है। यह रीजन खेती के लिए मानसूनी बारिश पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है।
