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0 केंद्रीय गृह मंत्री शाह की अध्यक्षता में 'पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' का उद्घाटन

गांधीनगर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में रविवार को गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में 'हिंदी दिवस-2025' के अवसर पर 'पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' का उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ।
श्री शाह ने समारोह के शुभारंभ अवसर पर हिंदी भाषा प्रेमियों का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि मित्र है। पहले अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होता था। इसमें कुछ बदलाव किए गए और पिछले पांच वर्षों से यह कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप हमें राजभाषा और देश की सभी भाषाओं के बीच संवाद बढ़ाने का बहुत ही अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुजरात में प्रारंभ से ही दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुंशी और उमाशंकर जोशी सहित अन्य कई विद्वानों ने हिंदी भाषा को स्वीकार किया और इसका प्रचार भी किया। इन दूरदर्शी नेताओं ने भारतीय भाषाओं को एक-दूसरे के साथ संवाद करने और प्रत्येक राज्य में हिंदी को प्रोत्साहन देने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि गुजरात में गुजराती और हिंदी का सह-अस्तित्व रहा है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर गुजराती बच्चों की पहुंच बहुत अधिक बढ़ गई है। दिल्ली से बाहर यह पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन भाषा प्रेमियों को नई दृष्टि, ऊर्जा और प्रेरणा देता है। आज इस सम्मेलन में कई प्रकाशनों का लोकार्पण हुआ है, जो भाषा के प्रति हमारे प्रेम और शैलियों में भाषा के उपयोग को बढ़ावा देती है। हिंदी बोलचाल और प्रशासन के साथ-साथ विज्ञान, तकनीक और न्याय की भाषा भी होनी चाहिए।
श्री शाह ने 'सारथी' का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक अनुवाद प्रणाली है, जिसके माध्यम से हिंदी भाषा से भारत की सभी मान्य भाषाओं में सरलता से अनुवाद किया जा सकता है। इस अनुवाद प्रणाली में ऐसी व्यवस्था की गई है कि इसके माध्यम से देश के किसी भी राज्य से किए गए पत्राचार का प्रत्युत्तर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उनकी स्थानीय भाषा में दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने स्वराज की लड़ाई के दौरान तीन मुद्दों पर बल दिया था- स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा। इन तीनों चीजें न केवल एक- दूसरे से बल्कि देश के स्वाभिमान से भी जुड़ी हुई हैं। महात्मा गांधी गुजरात राज्य साहित्य परिषद के अध्यक्ष थे और उन्होंने गुजराती शब्दकोश की रचना में बहुत बड़ा योगदान दिया था। वे जानते थे कि जब तक भाषा मजबूत नहीं होती, तब तक कोई भी समाज दुनिया के सामने उन्नत मस्तक के साथ खड़ा नहीं हो सकता। इसके अलावा, उन्होंने डिजिटल शब्दकोश 'हिंदी शब्द सिंधु' के बारे में बताते हुए कहा कि इस शब्दकोश में लगभग सात लाख शब्दों को शामिल किया गया है, जो वर्ष 20229 तक दुनिया की सभी भाषाओं में सबसे बडा शब्दकोश बन जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिव्यांगजनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इसके हिस्से के रूप में आज पांच दृष्टिबाधित लोगों को एआई-संचालित चश्मे प्रदान किए गए हैं। इस चश्मे की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि एआई-संचालित चश्मे की मदद से दृष्टिबाधित व्यक्ति अपनी मातृभाषा में भी पढ़ सकेंगे, इससे परिचित चेहरों को पहचानने में मदद मिलेगी और वॉइस असिस्टेंट सिस्टम की मदद से करेंसी मुद्रा की पहचान कर सकेंगे। इस प्रकार, यह चश्मा उनके निजी सहायक के रूप में काम करेगा।
श्री शाह ने देश भर के माता-पिता से अपील की कि बच्चों के साथ मातृभाषा में बातचीत करें और उन्हें मातृभाषा में बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाएं। अनेक भाषा विद्वानों और मनोवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि जब बच्चा अपनी भाषा में पढ़ता, सोचता, बोलता, विश्लेषण करता, तर्क करता और अपनी भाषा में निर्णय लेता है, तो उसकी क्षमता लगभग 30 फीसदी बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को मातृभाषा को महत्व देना चाहिए और राजभाषा का सहयोग करना चाहिए। संस्कृति भाषा ने हमें ज्ञान की गंगा दी है, तो हिंदी भाषा ने उस ज्ञान को घर-घर तक पहुंचाया है। जबकि हमारी स्थानीय भाषाओं ने उस ज्ञान को हर व्यक्ति तक पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न तकनीकों के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को मजबूत बनाने का सुंदर काम किया है, जिसके हिस्से के रूप में गृह मंत्रालय में भारतीय भाषा अनुभाग का गठन किया गया है, जो केवल आधिकारिक भाषाओं ही नहीं, बल्कि देश की सभी भारतीय भाषाओं को सुदृढ़ करने का काम करता है। देश के लगभग 539 शहरों तथा लंदन, सिंगापुर और दुबई जैसे देशों में भी आधिकारिक भाषा समिति का गठन किया गया है।