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क्या भाजपा के लिए अप्रसांगिक होते जा रहे हैं मेनका-वरुण ?
भारतीय जनता पार्टी के लिए उसके युवा सांसद वरूण गांधी 'गले की फांसÓ बनते जा रहे हैं। वरूण गांधी लगातार मोदी-योगी सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
'राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सवÓ : बैगा और माडिय़ा जनजाति के प्रमुख लोक नृत्य
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक गीत, नृत्य और संपूर्ण कलाओं से परिचित होगा देश और विदेश।
जिस तुर्की के सहारे उछलता था पाकिस्तान, अब वह भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकालवाएंगे लेकिन यह वादा खोखला ही साबित हो गया। क्योंकि उनकी नीति एवं नियत दोनों ही खोट से भरी है, उनकी कथनी और करनी में बड़ा फासला है।
अखबारों को मरने से बचाइए?
नि:संहेद ही अखबारों की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। महामारी के बाद अखबार की स्थिति दयनीय हो गई है।
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की चुनौतियां
शराब पीने की वृत्ति पहले व्यक्ति की बुद्धि की सोचने-समझने की शक्ति को छीन लेती है उसके शरीर को कमजोर करके उसके नैसर्गिक मानसिक एवं आध्यात्मिक बल को कुचल देती है।
रांगेय राघव कृत 'मेरी भव बाधा हरोÓ, कवि बिहारीलाल के जीवन पर दुर्लभ उपन्यास
किताबों की दुकानों पर केवल इसलिए ही नहीं जाता कि मुझे कोई किताब खरीदनी है, बल्कि इसलिए जाता हूँ क्योंकि मुझे किताबें प्रिय हैं।
टीम इंडिया- सफलतापूर्वक चुनौतियों का सामना
भारत ने टीकाकरण की शुरुआत के मात्र9 महीनों बाद ही 21 अक्टूबर, 2021 को टीके की100 करोड़ खुराक का लक्ष्य हासिलकर लिया है।
जनजाति संस्कृति की एक बार फिर दिखेगी जीवंत प्रस्तुति
कला और संस्कृति हर जनजाति समुदाय की अपनी विशिष्ट पहचान होती है और जनजाति संस्कृति की इसी पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने राजधानी रायपुर में एक बार फिर द्वितीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
व्यवहार की भाषा ही देश की भाषा हो
समाज की भाषा, नित्यप्रति के व्यवहार का माध्यम तो अपने-अपने देश की भाषा ही होनी चाहिये और होगी और अपने समाज का साहित्य और इतिहास उस देश की भाषा में अनूदित करने का प्रयत्न करना चाहिये, ताकि भावी पीढ़ी अपने मूल भारतीय समाज से कट कर रह न जाये। जातीय भाषा उस द
महामारी, बेरोजगारी संकट से जूझते बांग्लादेश के पर्यावरण शरणार्थी
कोरोनावायरस के प्रसार के कारण हजारों बांग्लादेशी श्रमिकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वहीं देश में कई लोग कठोर मौसम का सामना कर रहे हैं, जो उनके लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।