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मातृभाषा में शिक्षा की दिशा में सार्थक पहल
सशक्त भारत-निर्माण एवं प्रभावी शिक्षा के लिए मातृभाषा में शिक्षा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है।
सकारात्मक सोच की वैज्ञानिकता और कोरोना मुक्ति
सोचना एक कला है, हर आदमी इस कला को नहीं जानता, इस कला को जो जान लेता है, उसका मार्ग बहुत साफ, निष्कंटक, निरोगी एवं उसका जीवन सफल बन जाता है।
पारंपरिक बनाम एलोपैथ चिकित्सा पद्धति पर विवाद, सभी उपचार विधियों की अपनी महत्ता
यह सही है कि कोरोना महामारी के इलाज में सबसे कारगर हथियार हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता ही सामने आई है, और इसे बढ़ाने में एलोपैथ के साथ साथ पारंपरिक उपचार पद्धतियों का उल्लेखनीय योगदान सामने आया है।
वायरस पर नियंत्रण करता अमेरिका
कोरोना महामारी के संदर्भ में अमेरिका की मौजूदा स्थिति के बारे में अगर बहुत संक्षेप में कहना हो, तो यही कहा जा सकता है- बिना मास्क वाला अमेरिका. यह कहा जा सकता है कि बाकी दुनिया की तरह पिछले साल से कोविड-19 के संक्रमण से जूझते अमेरिका ने चौदह महीनों की अवध
प्रखर राष्ट्रवादी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे सावरकर
नया भारत बनाने, भारत को नये सन्दर्भों के साथ संगठित करने, राष्ट्रीय एकता को बल देने की चर्चाओं के बीच भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रखर सेनानी, महान देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, दूरदर्शी राजनेता, इतिहासकार, एक बहुत निराले साहित्यकार-कवि और प्रखर राष्ट्रवादी ने
जलती रहे लंका-बजता रहे डंका
अक्टूबर 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में तत्कालीन विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को अखिलेश यादव की मुखर आलोचना का अवसर उस समय मिला था जब उत्तर प्रदेश में नए बनने वाले राशन कार्ड पर अखिलेश यादव की फ़ोटो प्रकाशित की गयी थी।
भारत निर्माण में कौन भूल सकेगा नेहरू का योगदान ?
महात्मा गाँधी के सच्चे वारिस, अदभुत वक्ता, उत्कृष्ट लेखक, इतिहासकार, स्वपनदृष्टा और आधुनिक भारत के निर्माता के ख़िताब से नवाज़े जाने का श्रेय अगर किसी एक व्यक्ति को जाता है तो नि:संदेह वे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ही हैं।
पर्यावरण: विकिरण के खतरे और सवाल
जाने-अनजाने इंसान तमाम किस्म की तरंगों से घिर गया है। ये तरंगें तकनीक की हैं। ये हमारी जरूरतों में शामिल होने वाले उपकरणों की हैं।
दूसरी लहर से ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था की चिंता
कोरोना महाव्याधि एवं प्रकोप की दूसरी लहर जन-जीवन के लिये बहुत घातक साबित हो रही है
देश पर भारी पड़ रही नेताओं की अवैज्ञानिक सोच
भारत कभी विज्ञान की दुनिया में अग्रणी था। इसी कारण भारत का सकल घरेलू उत्पाद, जीडीपी दुनिया के जीडीपी का लगभग तीस प्रतिशत हुआ करता था।