Head Office
SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH
अभी सही नहीं सबको टीका लगाना
आज हम में से कुछ लोग 1980 और 1990 के दशकों को याद कर सकते हैं, जब डिप्थीरिया, पोलियो, काली खांसी जैसी टीकारोधी बीमारियों के शिकार बच्चों के फोटो वाले 'टिन-प्लेटÓ से बने पोस्टर गांवों और शहरों के प्रमुख स्थानों पर चिपके होते थे।
दूसरी लहर के हमले की बढ़ती रफ्तार की चिंता
देश में कोरोना की दूसरी लहर से जुड़ी डराने वाली खबरों के बावजूद केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारें गहरी नींद में हैं, पिछली बार इस तरह के आंकड़ों के बीच सख्त पाबंदियां लगा दी गयी थी, पूरा देश लाकडाउन की स्थिति में था, प्रश्न है कि इस बार सरकारें उदासीन क्यों
भारत और रूस के संबंधों में अब पुरानी गर्माहट नहीं दिखाई दे रही है
उत्तर-दक्षिण महापथ यानि ईरान और मध्य एशिया होकर रूस तक आने-जाने का बरामदा और चेन्नई-व्लादिवस्तोक जलमार्ग तैयार करने में भी रूस ने रूचि दिखाई है। लावरोव ने भारत-रूस सामरिक और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने के भी संकेत दिए हैं।
नेताओं का हृदय परिवर्तन सिर्फ सत्ता के लिए होता है, आदर्श उदाहरण बनने के लिए नहीं
मूल्य आधारित राजनीति की बात करना आज थोथा आदर्शवाद है, लेकिन कहीं-न-कहीं तो हमें यह स्वीकारना ही होगा कि जिस तरह की अवसरवादी राजनीति हमारे लोकतंत्र पर हावी होती जा रही है, उससे देश के वास्तविक और व्यापक हितों पर विपरीत असर ही पड़ सकता है।
क्या खत्म हो जाएगा 'मसल्स पॉवरÓ वाली सियासत का दौर
मसल्स पॉवर के बल पर माननीय तक का सफर तय कर चुके मुख्तार अंसारी जिन्हें लोग 'राबिन हुडÓ तक की उपमा दिया करते थे,वह आज अलग-थलग पड़ गया है।
बंगाल की जंग में 'दीदीÓ शब्द महिला विरोधी होने का आरोप झेल रहा
दीदी, शब्द को किसी भी महिला को सम्मान देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वही शब्द इन दिनों महिला विरोधी होने का आरोप झेल रहा है।
देश की सबसे बड़ी आंतरिक समस्या बने नक्सलियों को सबक सिखाने की जरूरत
हमें नक्सलवाद की असली वजहों को समझना होगा तभी इसका समाधान निकल सकेगा। हमें गरीबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मसलों पर युद्धस्तर पर काम करना होगा। इसके साथ ही नक्सलियों के खिलाफ सशस्त्र कार्रवाई भी जारी रखनी होगी।
नक्सलवाद से निपटने के लिए सही रणनीति का होना बहुत जरूरी है
इस समय छत्तीसगढ़ के 14 जिलों में और देश के लगभग 50 अन्य जिलों में नक्सलियों का दबदबा है। ये वहां छापामारों को हथियार और प्रशिक्षण देते हैं और लोगों से पैसा भी उगाहते रहते हैं। ये नक्सलवादी छापामार सरकारी भवनों, बसों और नागरिकों पर सीधे हमले भी बोलते रहते
हर घड़ी स्वास्थ्य जागृति एवं क्रांति हो
ईक्कीसवीं सदी ने मनुष्य जाति को बहुत कुछ दिया हैद्ब्रअच्छा भी, बुरा भी। इनमें से उसकी एक देन हैद्ब्रकोविड-19, मानव इतिहास से इस सबसे बड़ी एवं भयावह महामारी ने मनुष्य जीवन को संकट में डाल दिया है, न केवल मनुष्य जीवन बल्कि आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक सभी क्षे
सिद्धांत और मूल्यहीन सत्ता की राजनीति कब तक ?
भारतीय राजनीति में चुनाव का मौसम सबसे ज्यादा ठगाई, गुमराह एवं सपने दिखाने का मौसम होता है, भले ही उस समय असल में कोई भी मौसम क्यों न चल रहा हो। बिन मौसम राजनेता अपनी निष्ठा बदलने की वर्षा करते हैं तो राजनीतिक दल चुनावी वायदों के जरिये स्वर्ग को ही धरती प