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ओ-टू मिशन: शांति एवं स्वास्थ्य की संजीवनी
आज पूरी मानवजाति एक बड़ी एवं भयावह कोरोना वायरस महामारी के कहर से जूझ रही है और दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी चिंताओं से रू-ब-रू है।
कर्मनिष्ठ कर्तव्यपरायणता के उच्चतम प्रतीक वैचारिक ऊंचाइयों एवं ओजस्वी वाणी के पर्याय थे डॉ. सुभाष पांडे
डॉ सुभाष पांडे को उनके जीवन काल में अपनी काया से ऐसी माया मिली जिसकी छाया उनका परिचय बन गई है| जनसेवा के मार्ग के अनुयाई, सच्चे समाज सेवक, प्रेम, निष्ठा, कर्तव्य, क्रांति एवं निडरता की निर्झरिणी के रूप में सुभाष बाबू का परिदृश्य उभरता रहेगा| डॉक्टर पांडे
कोरोना आक्रमण करे, इससे पहले ही एलर्ट मोड में आ जाएं
हालात जितने भी भयावह हों, कुल लोगों की सेहत पर इसका फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे लोगों को न भगवान से डर लगता है,
हरियाणा का कौशल विकास और नौकरी को तरसते युवा
राजधानी से सटे हरियाणा राज्य में पिछले छह माह से भर्ती प्रक्रिया बंद ही समझी जाये. हरियाणा सरकार ने कोरोना लॉक डाउन से पहले जो भर्ती विज्ञापन जारी किये थे उन पर कोई काम नहीं किया है,
श्रीराम सुशासन के प्रतीक महापुरुष
भगवान श्रीराम की जन्म जयन्ती रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को उत्सवपूर्ण ढंग से मनाया जाता है। हिन्दु धर्मशास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श
राष्ट्रवाद की चपेट में कोरोना वैक्सीन, टीका निर्यातक हमारा देश करेगा इसका आयात
समूचा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इससे बचने के एकमात्र उपाय कोरोना वैक्सीन की कमी ने दिक्कत बढ़ा दी है। भारत में वैक्सीन निर्माण पर असर पड़ा है।
कोरोना महामारी में बदले जीवन के अर्थ को समझे
भारतीय चिंतन में उन लोगों को ही राक्षस, असुर या दैत्य कहा गया है जो समाज में तरह-तरह से अशांति फैलाते हैं। असल में इस तरह की दानवी सोच वाले लोग सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं।
बाजार की जरूरतों के अनुरूप कंप्यूटर शिक्षा मिलने से नौकरियों के बढ़ेंगे अवसर
पिछली सदी के आखिरी दशक में कंप्यूटर शिक्षा को स्कूल की शिक्षा का अंग बनाया गया। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में इस सदी के आरंभिक दौर में ही भारतीय परचम लहराने लगा।
कोरोना का चौतरफा हमला: सांस्कृतिक-राजनीतिक-आर्थिक और धार्मिक जीवन बुरी तरह आहत
बंगाल की विशाल चुनावी रैलियां हों या हरिद्वार कुंभ में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़, चैत्र-नवरात्र में माता दुर्गा के स्वागत की धूम हो या रमजान में खरीदारी की चहल-पहल, लगता है कि कोरोना के कहर को हम सभी दु:स्वप्न की तरह भूलना चाहते हैं, पर वैक्सीन आन
लॉकडाउन के अन्य विकल्पों को अमल में लाने से बचाव के साथ बनी रह सकती है अर्थव्यवस्था की रफ्तार
वर्तमान समय की वास्तविक उपलब्धि क्या है? इसका जवाब आसानी से नहीं मिलेगा, मगर दो टूक यह है कि इसका उत्तर कोरोना से मुक्ति है। देश में कोविड का संक्रमण पहली लहर की तुलना में इस बार काफी तेजी से फैल रहा है।