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पत्रकारिता शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए देश में बने मीडिया एजुकेशन काउंसिल
मीडिया के विद्यार्थी विदेशी पुस्तकों पर ज्यादा निर्भर हैं। लेकिन अगर हम देखें तो भारत और अमेरिका के मीडिया उद्योगों की संरचना और कामकाज के तरीके में बहुत अंतर है।
वैश्विक महामारी के दौर में राहतकारी ऑक्सीजन एक्सप्रेस की भूमिका में भारतीय रेल
आज अधिकांश कोरोना संक्रमितों के इलाज में मेडिकल आक्सीजन की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। कोरोना संक्रमण में सांस की नली से वायु फेफड़ों तक पहुंचती तो है, पर आगे प्राणवायु बन कर शरीर में संचारित नहीं हो पाती।
कोरोना और मनुष्य : एक वायरस के आगे घुटने टेक रही शक्तिशाली और आधुनिक सभ्यता
आज के हालात को देखकर लगता है कि न जाने ये समय इतना कठिन, इतना बेरहम और इतना निर्दयी क्यों हो गया है। हालांकि समय की इस क्रूरता के पीछे कभी न कभी, कहीं न कहीं रहा मानव ही है।
आपदा में मुनाफाखोरी ने बढ़ाई समस्या
आक्सीजन मनुष्य के लिए प्राणवायु है। वातावरण में मौजूद जिस आक्सीजन के जरिये हमारी सांसों की डोर चलती है, उसके लिए हमें न तो पैसे खर्च करने पड़ते हैं और न ही कतार लगानी पड़ती है।
कोरोना जैसी भयावह आपदा का सामना जीवनशैली में बदलाव से ही संभव
जीवनशैली जड़ नहीं होती। इस पर वैज्ञानिक शोध, संस्कृति व दर्शन के प्रभाव पड़ते रहते हैं। युद्ध और दीर्घकालिक सत्ता भी जीवनशैली पर प्रभाव डालते हैं। महामारियों के प्रभाव भी व्यापक होते हैं।
विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़ का अंजाम अब भुगत रहे हैं
आज पूरे देश के शहरी इलाकों में ऑक्सीजन को लेकर त्राहिमाम है। अदालतें ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर सरकार पर सख्ती बरत रही हैं, सरकारें ऑक्सीजन के उत्पादन और वितरण में रात दिन लगी हुई हैं।
राष्ट्रवाद के सहारे पेट नहीं भरता, मोदी सरकार को आम आदमी को राहत देनी होगी
२०19 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 40.3 फीसदी वोट मिले थे लेकिन तूफानी प्रचार और सारी ताकत पश्चिम बंगाल में झोंक देने के बाद भी इस बार उसका मत प्रतिशत थोड़ा नीचे गिरकर 38.13 फीसदी रहा और वह उतनी सीटों पर भी नहीं जीत सकी।
अदृश्य शत्रु से संघर्ष : कोविड-19की चुनौती पर रक्षा मंत्रालय का जवाब
पिछले 2-3 सप्ता ह के दौरान कोविड -19 के मरीजों की संख्याद अत्य धिक बढऩे से सदी का सबसे बड़ा संकट उत्पेन्न- हो गया है।
जीवन बचाने में असफल सरकार चिता की लकड़ी ही मुहैय्या करा दें
देश इस समय जिन प्रलयकारी परिस्थितियों का सामना कर रहा है उसकी तो शायद वर्तमान पीढ़ी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
कोरोना जैसे ही खतरनाक हैं महामारी के इस दौर में कालाबाजारी करने वाले
देश में कोरोना महामारी महासंकट बन असंख्य लोगों की जान ले रहा है, तब दवाइयों और इंजेक्शनों के तमाम जमाखोर सक्रिय हो गये हैं। इस जमाखोरी एवं कालाबाजारी पर रोक लगाने की कोशिशें सफल होती नजर नहीं आ रही हैं।