0 अफगानिस्तान में कार ब्लास्ट में मौत
काबुल/इस्लामाबाद। पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) का संस्थापक कमांडर उमर खालिद खुरासानी उर्फ अब्दुल वली मोहम्मद रविवार को एक धमाके में मारा गया। वह अफगानिस्ताान के पक्तिका प्रांत में मौजूद था। ब्लास्ट के वक्त खुरासानी कार में सफर कर रहा था।
कार में खुरासानी के साथ टीटीपी के दो और कमांडर मुफ्ती हसन और हाफिज दौलत खान भी सवार थे। धमाके में सभी मारे गए। कार में ब्लास्ट कैसे हुआ, इसका पता नहीं चल पाया है। अमेरिका ने खुरासानी पर 30 लाख डॉलर का इनाम रखा था।
पहले भी आई थीं मरने की खबरें, कश्मीर में भी एक्टिव रहा
बहुत कम उम्र में जिहाद शुरू करने वाला खुरासानी कश्मीर में भी एक्टिव रहा था। पहले भी कई बार उसकी मौत की खबरें आईं, लेकिन गलत निकलीं। इस बार तहरीक-ए-तालिबान ने खुरासानी की मौत की पुष्टि की है। संगठन के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि टीटीपी जल्द ही मौत के बारे में ज्यादा जानकारी देगा। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ने अब तक इस घटना पर बयान जारी नहीं किया है। उमर खालिद खुरासानी पर हमला किसने किया, ये अभी साफ नहीं है।
पाकिस्तान में कई बम धमाकों के पीछे टीटीपी का हाथ
टीटीपी पर पाकिस्तान ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। पाकिस्तान की सेना इसके खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन कर चुकी है। इस संगठन ने बीते कुछ साल में पाकिस्तान में कई बड़े धमाके किए हैं। पाकिस्तान में हिंसा रोकने के लिए टीटीपी और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। बातचीत को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिशें भी की जा रही हैं।
खुरासानी पाक सरकार से बातचीत में शामिल, लेकिन इसका समर्थक नहीं
खुरासानी पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत का समर्थक नहीं था। हालांकि संगठन की तरफ से बातचीत करने वाले दल को वही लीड कर रहा था। उमर खालिद खुरासान 2014 में टीटीपी से अलग हो गया था। इसके बाद उसने जमात-उल-अहरार संगठन बनाया। इस संगठन ने भी पाकिस्तान में कई बड़े हमले किए हैं। 2014 में वाघा बॉर्डर पर हुए हमले की जिम्मेदारी जमात-उल-अहरार ने ही ली थी। 2015 में लाहौर में दो धमाके, 2016 में लाहौर में ही ईस्टर पर हमला और 2017 में लाहौर के मॉल रोड पर प्रदर्शनकारियों पर हमले समेत कई हमलों की जिम्मेदारी जमात-उल-अहरार ने ली थी। 2020 में खुरासानी फिर टीटीपी से जुड़ गया।