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0 सुप्रीम कोर्ट बोला- बिजली की तेजी से फाइल क्लियर हुई, सवाल ईसी पर नहीं, प्रक्रिया पर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अपॉइंटमेंट की ओरिजिनल फाइल सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। सुप्रीम कोर्ट सीईसी और ईसी की नियुक्ति प्रक्रिया पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से अपॉइंटमेंट की फाइल मांगी थी।

आज फाइल देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि चुनाव आयुक्त के अपॉइंटमेंट की फाइल बिजली की तेजी से क्लियर की गई। यह कैसा मूल्यांकन है। सवाल उनकी योग्यता पर नहीं है। हम अपॉइंटमेंट प्रोसेस पर सवाल उठा रहे हैं।

5 जजों की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा
संविधान पीठ के सामने हुई लंबी बहस के बाद बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस केएम जोसेफ की अगुआई वाली बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।

पहले पढ़ें चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर बवाल क्यों
दरअसल, 1985 बैच के आईएएस अरुण गोयल ने उद्योग सचिव पद से 18 नवंबर को वीआरएस लिया था। इस पद से उन्हें 31 दिसंबर को रिटायर होना था। गोयल को 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त अपॉइंट कर दिया गया। वह मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग का हिस्सा रहेंगे। इस नियुक्ति पर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक याचिका दायर कर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार से इस मामले पर सुनवाई शुरू की है। गुरुवार को सुनवाई का तीसरा दिन है। कोर्ट सीईसी और ईसी की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया था कि सीबीआई डायरेक्टर या लोकपाल की तरह ही केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है। याचिका में इन नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम सिस्टम की मांग की गई है।

अटॉर्नी जनरल ने अपॉइंटमेंट फाइल मांगने पर ऐतराज जताया था
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल को देखने की कोर्ट की इच्छा पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने आपत्ति जताई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति खारिज कर दी। वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के बड़े मुद्दे को सुन रहा है। ऐसे में वह प्रशांत भूषण द्वारा उठाए गए एक व्यक्तिगत मामले को नहीं देख सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सेशन जैसा कैरेक्टर चाहिए, कार्यकाल ही पूरा नहीं होता
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त, यानी सीईसी की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि 1990 से 1996 के बीच सीईसी रहे टीएन शेषन के बाद किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने पूरे कार्यकाल का मौका नहीं मिला। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार को सीईसी बनाए जाने वाले व्यक्ति के जन्म की तारीख पता होती है? वर्तमान सरकार के समय ही नहीं, यूपीए की सरकार के समय भी होता आया है।

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