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क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार, जानिए इससे जुड़ी कथा और पूजा विधि
मान्यता है कि नागों की पूजा से भोले बाबा और विष्णु भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। नागपंचमी पर वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग की पूजा का विधान है। इस अवसर पर लोग नाग देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में जीवित सापों की पूजा भी करते हैं। हिंदू धर्म में सांपों को पूज
मानव यह भूल गया है कि एक दिन इस दुनिया से जाना पड़ेगा
मुंबई। कविकुल किरीट प.पू. लब्धि सूरि महाराजा द्वारा रचित सज्झाय जो वैराग्य से भरी है कहते है दुनिया में जो भी व्यक्ति आता है, वह एक मुसाफिर की तरह है। इस सज्झाय से पूज्यश्री हमें समझाना चाहते है जिसे हम अपना मानकर बैठे है उसे एक दिन छोड़कर जाना है।
अमरनाथ यात्रा रद्द लेकिन परंपरागत अनुष्ठान जारी ‘छड़ी पूजन’ 25 जुलाई को ‘नाग पंचमी’ के अवसर पर
श्रीनगर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण दक्षिण कश्मीर के हिमालय में स्थिति पवित्र अमरनाथ गुफा की विश्व प्रसिद्ध वार्षिक यात्रा इस बार भले ही स्थगित कर दी गयी हो लेकिन इस यात्रा से जुड़े सभी पारम्परिक अनुष्ठान इस बार भी विधिवत तरीके से पूर
त्याग, तपस्या और संकल्प का प्रतीक हरियाली तीज
प्रयागराज। त्याग, तपस्या और संकल्प का प्रतीक अखंड सौभाग्यवती की कामना पूर्ति के लिए निराजली महिलायें गुरूवार को हरियाली तीज पर्व मनायेंगी।हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
क्यों मनाते हैं हरियाली श्रावणी तीज, क्या है इसकी प्रामाणिक कथा, जानिए इसकी पूजा विधि
सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, उसे हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।
रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही रची थी शिवताण्डव-स्तोत्र, जानिए क्या है इसकी विशेषता
हम रावण को चाहे जिस रूप में देखें, पर उसके पाण्डित्य पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता! हां, जहां गुण रहता है, वहीं अवगुण भी होता है न! सृष्टि सत्त्व, रज, तम; इन्हीं तीनों गुणों के मेल से बनी है और कमोबेश सबमें इन तीनों का रहना ही रहना है। किसी में सत्त्व अधिक
सावन शिवरात्रि, जानें किस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना
आज सावन शिवरात्रि है। सावन शिवरात्रि 19 जुलाई रविवार के दिन पड़ रहा है। शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, लेकिन सावन में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि सावन शिव का महीना है, इसलिए इस महीने में पडऩे वाले हर त्योह
भीम ने की थी यहां विशालकाय शिवलिंग की स्थापना
महाबली भीम ने धरती से करीब 54 फीट नीचे से छह अर्धाओ का निर्माण कर अर्धा पर ही भव्य मंदिर का निर्माण कर शिव आराधना की थी लेकिन कालान्तर में ये शिवलिंग पूरी तरह धरती में समा गया।