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परिस्थिति कैसी भी क्यों न हों, अपने मन को विचलित नहीं करना चाहिए

मुंबई। एक युवान संत के पास जाकर कहने लगा, साहेब! मैं कुछ उलझन में पड़ हुआ हूं।

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क्या है पुत्रदा एकादशी, जानें पूजा विधि, शुभ-मुहूर्त और इसका महत्व

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को पडऩे वाली एकादशी है। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाता है। सावन की पुत्रदा एकादशी विशेष फलदायी मानी जाती है। इस बार सावन की पुत्रदा ए

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शुभस्य शिघ्रं को मूलमंत्र मान, करें मन्दिर निर्माण का स्वागत: यति

गाजीपुर। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन मुहूर्त से परे रहा है। प्रकांड आचार्यों द्वारा शुभ मुहूर्त निकाल कर जब उनके राज तिलक का समय सुनिश्चित किया गया ठीक उसी समय उन्हें बनवास जाना पड़ा।

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ख्वाजा साहब की महानाछठी शिद्दत के साथ मनाई

अजमेर। हिजरी सम्वत 1441 के जिलहिज माह की आखिरी छठी के मौके पर आज राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की महानाछठी शिद्दत के साथ मनाई गई।

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राग द्वेष के छोटे-बड़े संक्लेश छोडऩा सीखो

मुंबई।दुनिया के कितने जीव सुखी है तो कितने दु:खी। इस दु:ख के पीछे कारण कौन है? तो वह है कर्म। कोई भी जीव जिस प्रकार से राग द्वेष करता है उस प्रकार से उसके कर्म का बंध होता है और परिणाम उसका फल भी पाता है।

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जीवन का एक-एक पल कीमती है, समय किसी के लिए रूकता नहीं है

मुंबई। इस धरती पर जितने भी व्यक्ति ने जन्म लिया उन सभी को एक न एक दिन इस दुनिया को छोड़कर जाना ही है

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निस्वार्थ भावना से कार्य करों जिससे तुम्हारा नाम अमर बनें

मुंबई। सागर ने हर नदीओं का पानी अपने में समावेश किया तभी वह विशाल बना। इसी तरह कोई व्यक्ति कितना भी अच्छा कहे या बुरा, महापुरूष उस पर रियेक्ट नहीं करते है तभी वे महापुरूष बनें है।

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देश के इस गांव में आज तक सर्पदंश से नहीं हुयी कोई मौत

औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले का एक गांव महाभारत कालीन सभ्यता का द्योतक आज भी माना जाता है। मान्यता है कि पांडव वंश के अंतिम राजा जनमजेय द्वारा यहां किये गये सर्प मेधयज्ञ के कारण यहां आज तक सर्पदंश से कोई मौत नहीं हुयी है।

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परमात्मा के अनेक गुण हैं, जिनकी तुलना में कोई भी व्यक्ति नहीं आ सकता

मुंबई। परमात्मा के अनेक गुण हैं, जिनकी तुलना में कोई भी व्यक्ति नहीं आ सकता है। वैसे ही महापुरुष ऐसे ही महान नहीं बनें। उनमें भी गुणों का भंडार भरा पड़ा है। उनके गुणों का एक भी अंश यदि हमारे जीवन में आ जाएगा तो हमारा जीवन सफल बन जाएगा। गुणों को पाना है तो