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शांत सुधारस ग्रंथ भी एक संजीवनी स्वरूप ही है
अहमदाबाद। मूर्छित व्यक्ति को बैठा दें ऐसी जादुई जड़ी-बुटी यानी संजावीनी जैसा कुछ अस्तित्व में ही नहीं है। वास्तविकता में जब व्यक्ति की हार गया हो, हताश हो गया हो, निराश हो गया हो तब जो उसे जीवन जीने की शक्ति देता है, आत्मविश्वास बढ़ाता हो उत्साह बढ़ाता हो
माता-पिता, भाई-बहन व स्वजन आदि समस्त परिवार प्रभु से मिला एक उपहार है
अहमदाबाद। कुछ संबंध ऐसे होते हैं जो पहले से बने हुए हैं। माता-पिता-भाई-बहन-स्वजन आदि समस्त परिवार प्रभु से मिला एक उपहार है।
पितरों के लिए श्राद्ध कर्म में करें
विष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पितृ पक्ष में घर-परिवार के मृत पूर्वजों को श्रद्धा से याद किया जाता है
दुनिया के प्रत्येक जीवन के साथ मैत्री का संबंध, करुणा का संबंध जोडऩा है, यही है पुण्य जीवन
अहमदाबाद। कुछ शब्द ऐसे होते है ंजो सुनकर ही मन को आनंद की अनुभूति होती है, कुछ शब्द ऐसे होते है जो सुनकर मन को दु:ख होता है, कुछ ऐसे होते है जो सुनकर समझने में ही देर लगती है। ऐसे ही कुछ आनंददायक शब्दों का संकलन महोपाध्याय श्री विनयविजयजी महाराज ने शांत
सुखी रहने के लिए जरूरी है पूर्वजों का आशीर्वाद
पूर्वजों के तर्पण का महीना शुरू हो रहा है। इस साल पितृपक्ष 2 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजा करने से हर संकट होगा दूर
अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल ये पर्व 19 सितंबर 2021 रविवार के दिन मनाया जाएगा।
तलवार से मनुष्य को नहीं उसकी संपत्ति को जीता जा सकता है, जबकि मैत्री से मनुष्य को उसके हृदय को जीता जा सकता है
अहमदाबाद। व्यक्ति जब जन्म लेता है तब केवल उसके परिवार जन, स्वजन खुशियां मनाते है लेकिन जीवन जब अनोखी तरह से जी जाता है तो उसके जाने के बाद भी समस्त विश्व उसे उसके कार्यों के लिए अवश्य याद सकता ही है। कुछ लोग ऐसे होते हैं
दूसरों का उपकार करना सबसे बड़ा पुण्य
संपूर्ण सृष्टि में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी बुद्धि और विवेक के आधार पर अच्छे व बुरे कर्मो का निर्धारण कर सकता है।
जगत के समस्त जीवों के साथ, मनुष्य भव में मिले प्रत्येक व्यक्ति के साथ मैत्री का पवित्र सेतु बांधना है
अहमदाबाद। परम मंगलमयी शांति और सुधारस का कॉम्बीनेशन यानी विनयविजयजी महाराजा द्वारा रचित शांत सुधारस ग्रंथ। यह ऐसे महान शब्दों का संकलन है, महान विचारों को प्रदर्शित करता और अद्भुत भावनाओं से पर्याप्त ऐसा महान गेय ग्रंथ है। इस ग्रंथ के वांचन से जीवन महा शा
देवों के आचार्य, देवशिल्पी और शिल्पकला के सृजनहार हैं भगवान विश्वकर्मा
कहा जाता है कि देव और दानवों में समय-समय पर युद्ध चलता ही रहता था। कभी देवों का पलड़ा भारी होता था तो कभी राक्षसों का।