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जीवन कब समाप्त हो जाएगा पता नहीं अत: निरंतर आराधना करते रहना
अहमदाबाद। एक भाई गुरू भगवंत को बाजते-गाजते अपने व गृहांगण में पदार्पण के लिए ले आए। बहुत घूम-फिरके उनके घर पहुंचे तो गुरू भगवंत ने पूछा-कि इतना घूमाकर क्यों आए? तो भाई ने कहा कि बैंड वाले को इतने पैसे दिये तो वसूल करना था। इसी तरह अनंत पुण्याई से प्राप्त
कब है कजरी तीज? जानें पूजा विधि सामग्री और महिलाओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
महिलाएं अपने पति के लिए साल भर में बहुत सारे व्रत रखती हैं। उन्हीं सुहाग के एक व्रत में से कजरी तीज भी है।
उत्सव का मास सावन, जब महादेव बनें नीलकंठ
समुद्र मंथन से निकले कालकूट विष से प्राणियों को बचाने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में उतार लिया था।
किसी के द्वारा किए गए अच्छे या बुरे कार्य का असर किसी दूसरे व्यक्ति पर नहीं पड़ता
अहमदाबाद। ट्रेन के दो डब्बों के बीच बफर डाले हुए होते हैं, जिससे दो डब्बे आपस में टकराये नहीं और उनको लगे आघात से एब्जॉर्ब कर लें जिससे वे गिरेंगे नहीं। ठीक इसी तरह जीवन में आते हुए संकट, समस्याएं आदि से आघात लगे, उससे टूटकर हार न मान लें तथा उन समस्याओं
प्रतिदिन जिनके साथ हम रहते हैं उनके साथ समाधान करके रहना की समाधि है
अहमदाबाद। संसार यानि आधि-व्याधि-उपाधि का खजाना। प्रतिपल, प्रतिक्षण आधि-व्याधि-उपाधि से पीडि़त ये संसार से बचने के लिए समाधि ही एक तरीका है। शास्त्रकार भगवंतों ने समाधि का अर्थ समाधान बताया है और इसका दूसरा अर्थ है ध्यान में एकाग्र बनना।
जानिए, भगवान शिव क्यों धारण करते हैं त्रिशूल?
भगवान शिव का तीसरा नेत्र संपूर्ण सृष्टि में प्रलय उत्पन्न कर सकता है। फिर भी शिव शम्भू अपने हाथों में त्रिशूल धारण करते हैं।
आधि-व्याधि और उपाधि से घिरा हुआ ये संसार है जो हमें हमारी इच्छा मुताबिक कुछ नहीं करने देता
अहमदाबाद। प्रत्येक क्षेत्र में कुछ न कुछ खासियत होती है। जैसे स्पोटर््स ब्रांड के लिए एडिडास, नाइक, प्यूमा आदि प्रसिद्ध है।
शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से सभी पापों का नाश हो जाता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा से शिव की विशेष कृपा मिलती है। आज हम जानेंगे कि शिव के ये दिव्य ज्योतिर्लिंगों कहां कहां स्थित हैं।
अहिंसामय प्रेममय दृश्य अपने ह्रदय को प्रेम और करुणा से भर देता है
अहमदाबाद। अहिंसा का श्रेष्ठ स्थान यानि परमात्मा का देशना स्थल समवसरण। ऐसे श्रेष्ठ स्थान का अहिंसामय प्रेममय दृश्य अपने ह्रदय को प्रेम और करुणा से भर देता है।
सावन मास की कामिका एकादशी, जानें पूजा मुहूर्त, पारण समय एवं महत्व
हर माह की तरह ही सावन मास में भी दो एकादशी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। हिन्दी पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से जानते हैं।