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दुनिया में लोग खुद की चीज का खुद ही गर्व महसूस करते हैं
अहमदाबाद। आज अहमदाबाद में प्रेरणा तीर्थ (सेटेलाईट) में पूज्य गच्छाधिपति राजयश सूरीश्वरजी महाराजा आदि ठाणा तथा प्रवर्तिनी साध्वी पू. वाचंयमाश्रीजी (बेने म.सा.) आदि ठाणा का चातुर्मास प्रवेश बहुत ही उत्साह एवं उल्लापूर्वक हुआ।
कब है गुरु पूर्णिमा? जानें इसका क्या है धार्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। परंतु हिंदी पंचांग का चौथा माह आषाढ़, जिसके पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
किसी भी सम्यक् बिन्दु से प्रारंभ की हुई साधना साध्य को परम ऊंचाई को प्राप्त कराती है
अहमदाबाद। उत्तराध्ययन सूत्र एक महान सूत्र है। आज के अध्ययन का नाम सम्यक्त्व-पराक्रम। साधक किस बिन्दु से साधना प्रारंभ करें? संवेग से? धर्म श्रद्धा से? स्वाध्याय से? त्याग से? वगैरह तब जवाब मिलता है, किसी भी सम्यक् बिन्दु से प्रारंभ की हुई साधना साध्य को प
चातुर्मास संस्कृति एक अमूल्य धरोहर है
वर्षा ऋतु के चार महीने व्रत, भक्ति एवं धर्माराधना के लिये निर्धारित है, जिसे 'चातुर्मासÓ कहा जाता है। भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है।
उत्कल के प्रधान देवता जगन्नाथ का छत्तीसगढ़ की संस्कृति में समावेश
छत्तीसगढ़ की संस्कृति में कई ऐसी संस्कृतियों का भी समावेश हो गया है, जो मुख्य रूप से पड़ोसी राज्यों की संस्कृति कहलाती हैं।
मनुष्य जन्म को पाने के बाद जिन्होंने जिनशासन को पाया है उनका आनंद अपरंपार है
अहमदाबाद। मनुष्य जन्म को पाने के बाद जिन्होंने जिनशासन को पाया है उनका आनंद अपरंपार है। जैन शासन की जिन्हें उपलब्धि हो गई वे अपने आनंद को अभिव्यक्त किए बिना नहीं रहते है।
जुलाई से दिसंबर तक अब सिर्फ 56 शुभ मुहूर्त शेष, जानिए महत्वपूर्ण तिथियां
जुलाई से दिसंबर तक अब सिर्फ 56 शुभ मुहूर्त शेष रहे हैं। इनमें खरीदारी, लेन-देन और नए कामों की शुरुआत की जा सकती है।
आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि? जानें मां दुर्गा की पूजा की विधि एवं सामग्री
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का आगमन होता है। नवरात्रि में देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है।
वैष्णव सम्प्रदाय के चार धामों में प्रमुख है जगन्नाथ मंदिर
त्रेतायुग के बाद द्वापर युग में भगवान् श्री कृष्ण ने पूरी को ही अपना स्थल बनाया और पूरी में ही रहते हैं। जगन्नाथ यानि विश्व के स्वामी। पूरी में अपने भाई बहिन के साथ विराजमान होते हैं।
इसलिए पूजा में शामिल करते हैं अक्षत धन, धान्य और सपंन्नता का है प्रतीक
अक्षत। जिसका कभी कोई क्षति न हो, जो स्वयं में पूर्ण हो। अक्षत् का हमेशा पूजा पाठ या मांगलिक कार्यों में प्रयोग होता है।