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नेपाल : नकारात्मक सियासत हार गई, संविधान जीत गया
नेपाल में अंतत: नकारात्मक सियासत हार गई, संविधान जीत गया। वहां की शीर्ष अदालत के संसद बहाली के सुप्रीम आदेश के बाद लोकतंत्र मुस्करा उठा है।
कोरोना टीका लगवाने के प्रति उत्साह कम रहा तो कैसे हरा पाएंगे महामारी को
टीकाकरण 2.0 के बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण की तैयारी की जा रही है, यह अभियान मार्च माह में शुरू होगा। टीकाकरण के प्रति लोगों में उत्साह की कमी के चलते अलग-अलग जगहों से वैक्सीन की खुराकें बर्बाद होने की खबरें भी सामने आ रही हैं।
भारत का वैक्सीन मैत्री अभियान महत्वपूर्ण पहल
भारत का वैक्सीन मैत्री अभियान हाल के समय की सबसे महत्वपूर्ण पहल में से एक है।
देश की महानता के लिए राजनीतिक दलों की वफादारी जरूरी
देश की महानता एकता और अखंडता के लिए देश के विभिन्न राजनीतिक दलों की मानसिकता देश के प्रति वफादारी होना बहुत जरूरी है।
महंगाई : देश में 32 रु. वाला पेट्रोल 100 रुपए में क्यों ?
देश में पेट्रोल के दाम पहली बार 100 रुपए प्रति लीटर पार कर चुके हैं।
स्वास्थ्य बजट 2021-22 : सही दिशा में उठाया गया कदम
स्वास्थ्य-देखभाल, दुर्भाग्यपूर्ण महामारी के कारण दैनिक जीवन के केंद्र में आ गया है। इस वैश्विक महामारी ने दुनिया भर में जीवन और आजीविका को तबाह कर दिया है।
जाहे विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए
पिछले दिनों किसान आंदोलन के बीच पंजाब में स्थानीय निकायों के चुनाव संपन्न हुए। इसमें कांग्रेस पार्टी की अकाल्पनिक विजय इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी जितनी कि भारतीय जनता पार्टी की फज़़ीहत के साथ बुरी तरह हुई पराजय।
अपने आखिरी वक्त में भी धर्म उपदेश देते रहे थे रामकृष्ण परमहंस
विश्व में वेदांत का झंडा फहराने वाले स्वमी विवेकानंद जैसे महापुरुष के गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस के विषय में कुछ लिखना ईश्वर में पूर्णत: समाहित होने जैसा है। एक महामानव का जीवन परिचय जानना और समझना कितना कठिन है,
साल खत्म हुआ है, कोरोना वायरस नहीं
2020, इस साल ने हमें पूरी एक सदी का सबक दे दिया, हमने समझा कि प्रकृति का महत्व क्या है, इस बरस हमने सही मायनों में जान की कीमत को समझा। हमने जाना कि अपनों को खोने का दर्द क्या होता है और अपनों के करीब होने का सुख क्या होता है। लेकिन यह सारा अनुभव तभी संभव
किसान आन्दोलन पर देशद्रोह एवं अशांति के धब्बे
सर्वोच्च न्यायालय ने जन-प्रदर्शनों, आन्दोलनों, बन्द, रास्ता जाम, रेल रोकों जैसी स्थितियों के बारे में जो ताजा फैसला किया है, उस पर लोकतांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से गंभीर चिन्तन होना चाहिए, नयी व्यवस्थाएं बननी चाहिए।