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कोविड काल में सपनों का बजट, उच्च विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करता है
स्वास्थ्य देखभाल बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि; बुनियादी ढांचा व्यय में 32 प्रतिशत की वृद्धि, जिसमें राज्यों और स्वायत्त निकायों के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन शामिल नहीं है; दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक बीमा कंपनी का निजीकरण; बैंकों की बैलेंस
म्यांमार में अचानक हुए तख्तापलट ने लोकतांत्रिक सुधार प्रक्रिया को तगड़ा झटका दिया
सवाल उठता है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद भारत से कैसे रहेंगे रिश्ते? इसको लेकर भारत सरकार का चिंतित होना स्वाभाविक भी है। जिस देश ने दुर्दांत सोच और लाचार सिस्टम को संभालने में इतनी मेहनत की लेकिन अचानक उस पर पानी फिर गया।
देश के वर्तमान और भविष्य पर चिंतन
संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति अपनी गहरी और अमिट छाप छोड़ती है, जिसका संपूर्ण विश्व में कोई सानी नहीं है,
भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने वाला बजट
भरत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है और कोरोना महामारी से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटा है, इन संकटकालीन एवं चुनौतीभरी परिस्थितियों में लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में आम बजट को पेश किया
नशा एक अभिशाप: उभरने के लिए प्रयास जरूरी
हमें अपनी जिंदगी हमेशा होश में जीना चाहिए। हमारे जीवन में किसी भी प्रकार का नशा हमारे समाज देश और दुनिया के लिए एक- अभिशाप है।
उच्च मानवीय मानसिकता ही विश्व कल्याणकारी है
विश्व कल्याण के लिए हमारी मानवीय आधार पर बिना किसी जातिगत एवं धर्मगत, पंथगत हमारी सोच बिना किसी धार्मिक कट्टरता के और हमारे कृत्य ही विश्व के लिए कल्याणकारी है,
धार्मिक कट्टरता और जातिवाद देश के विकास में सबसे बड़ी रुकावट
हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है क्या हमने अपने संविधान को ठीक से पढ़ा है। अगर नहीं तो हम कैसे कह सकते हैं कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। हमारे देश के विकास में सबसे बड़ी बाधक हमारे देश के धर्मों की कट्टरता है।
आचार्य महाश्रमण ने रचा अहिंसा यात्रा का स्वर्णिम इतिहास
दिल्ली में राष्ट्रीय गौरव दिवस पर हिंसा, अराजकता एवं उपद्रव का जहां एक काला पृष्ठ रचा गया, वही दूसरी ओर सुदीर्घ लम्बी पदयात्राओं के निमित्त से आयोज्य आचार्य श्री महाश्रमण की 'अहिंसा यात्राÓ ने हिंसा, अराजकता और युद्ध के माहौल में अहिंसक जीवनशैली, अहिंसा क
सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसर
वैसे तो, भारतीय रक्षा बलों में महिलाओं का प्रवेश ब्रिटिश भारत के समय से ही अलग-अलग स्तर पर रहा है, उनकी भूमिका नर्सिंग और चिकित्सा अधिकारियों से संबंधित ज्यादा थी या तैनाती के दौरान सैनिकों, परिवार और जनता की देखभाल करने की जिम्मेदारी होती थी।
किसान आंदोलन का हिंसक एवं अराजक हश्र
किसान आन्दोलन तथा विभिन्न विचारों, मान्यताओं के विघटनकारी दलों के घालमेल की राजनीति ने भारत के गणतंत्र को शर्मसार किया।