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रामायण और महाभारत काल से ही छठ मनाने की रही है परंपरा
पटना। लोक आस्था का महापर्व छठ मनाने की परंपरा रामायण और महाभारत काल से ही रही है। छठ वास्तव में सूर्योपासना का पर्व है। इसलिए, इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इसमें सूर्य की उपासना उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। ऐसा विश्वास है क
दिवाली के अगले दिन ही क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा, क्या है इसकी पौराणिक कथा
नेशनल डेस्क (सशि)। फेस्टिव सीजन के बीच बाजारों और घरों में खूब रौनक देखने को मिलती है। दिवाली से दो दिन पहले जहां धनतेरस की चहल-पहल देखने को मिलती है, वहीं दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा से वातावरण कृष्णमय हो जाता है। हर त्योहार से कोई न कोई पौराणिक कथ
लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि से लेकर, शुभ मुहूर्त, आरती और महत्व के बारे में जानिए
समवेत शिखर डेस्क। दीपों का त्योहार दिवाली हर बार की तरह इस बार भी कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाएगी। 14 नवंबर यानी आज मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाएगी. शाम 5:40 से रात 8:15 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। ऐसे में आइये जानते हैं प्रकाश के इस पर्व
जिस कुटुंब में वात्सल्य, विवेक व विनय नहीं वहां युद्ध भूमि बनने में देर नहीं लगती
मुंबई। जिस कुटुंब में वात्सल्य, विवेक, विनय नहीं उस कुटुंब को युद्ध भूमि बनने में देर नहीं लगती है। बर्तन खडख़ड़ाने से पता चलता है कि टूटा हुआ है या पूरा है।
जिसे मोक्ष में जाना है, उसे साधु तो बनना ही पड़ेगा
मुंबई। परम मंगलमय परमात्मा के शासन को पाकर जो आत्मा जागृत हो गई है। वह संसार के इस जाल में पड़ती नहीं है
हजार काम छोड़कर जो काम महत्व का है उसे पहले कर लेना चाहिए
मुंबई। महामंगलकारी शास्त्रों के वचन सुनने के बाद पाप से अटकना चाहिए। मनुष्य जीवन का समय ऐसे ही चला जाता है
सुखी जीवन जीने का कीमिया है हंसना एवं किसी भी बात को हंसने में निकालना
मुंबई। सुखी जीवन जीने का कीमिया है हंसना एवं किसी भी बात को हंसने में निकालना। जीवन की नोर्मल घटनाओं में भी मानवी को सदा हंसने रहना चाहिए। कितने व्यक्ति का स्वभाव सदा उदासीन रहता है
हरेक के जीवन में सुख के साथ दु:ख के प्रसंग भी आते हंै
मुंबई। हरेक के जीवन में सुख के प्रसंग के साथ दु:ख के प्रसंग भी आते हंै। सुख के प्रसंग में मानवी आनंद एवं प्रसन्नता में रहता है
जो ट्रेन कम स्टेशनों पर रुकती है वह ट्रेन अंतिम स्टेशन तक जल्दी पहुंचती है
मुंबई। छगन हेयर कटिंग सेलून में गया। अंदर जाकर हजाम से पूछा, आपके अस्तुरों (अस्त्रों) कैसे चलाते हैं? हजाम ने गर्व से कहा कि अरे! मेरे अस्त्रों के बारे में तो क्या कहना। वह तो राजधानी एक्सप्रेस की तरह चलता है। यह सुनकर छगन खुश होकर हजामत कराने बैठ गया। ह
अच्छी बातें जब अपने दिल को छू जाती है तब अपने आचरण में भी आने लगती है
मुंबई। आज मेरा आप सभी को एक प्रश्न है तपश्चर्या मन से होती है या शरीर से होती है?